'सुमनमाला' मेरी ज़िन्दगी की वास्तविकता से उभरे गीतों का गुलज़ार है, जिसकी परछाई मेरे गीतों में विद्यमान है। मैंने ज़िन्दगी के फूल शूल, धूप धूल, नमीं उष्मा को जो महसूस किया उन एहसासों को तराश कर उसमें शब्द लय का सन्तुलन कर उसे मुकम्मल रुप देना ही मेरा उद्देश्य रहा। अपनी ज़िन्दगी के उन जीवन्त पलों को भाषा तथा शिल्प सौन्दर्य से सन्तुलित करने का यह मेरा मौलिक प्रयास है। अत 'सुमनमाला' का गुलज़ार गीत बोल लय को स्वाभाविक शब्दों के माध्यम से व्यक्त अनुभवों की सत्यता को उजागर करता है जिस में अनुभूति की तन्मयता में ध्वनि गूंजने लगती है, सुर छेड़ती हुई कुछ ग़ज़लें, कुछ गीत, कुछ किस्से जिन में अक्षर अक्षर गाने लगते हैं, जिससे काव्य में नाद सौन्दर्य और गेयात्मकता आ गई है। इसलिए काव्य के सौन्दर्य को सुसज्जित करने हेतु मैंने अक्षरों को शब्दों में पिरो कर 'सुमनमाला' के गुलज़ार को महकाने का प्रयास किया है, जिस का अधिकाधिक विषय है - प्रेम शान्तिः स्थिरता भावात्मक आत्मिक और मानसिक सौन्दर्य के स्वस्थ चित्रण में मेरी रुचि है।
इसलिए कोमलता, गम्भीरता, मार्मिकता और एकरसता भी काव्य की आत्मा से निरन्तर प्रवाहित हो रही है। भाषा में शब्द, छन्द, लय
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