Skip to content
Scan a barcode
Scan
Paperback Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Bahadur Shah Zafar [Hindi] Book

ISBN: B0CJ5XDP67

ISBN13: 9789395565004

Mashhoor Shayaron kee Pratinidhi Shayari Bahadur Shah Zafar [Hindi]

"जब था साकी यार हमारा हम थे और मैलाता था अब वो दिन कहाँ कैफियत के, वो भी एक जमाना था. जब से बसा तू दिल में आकर हुई है सूरत आबादी रहता था कौन आ के इसमें, ये तो एक वीराला था. बहादुर शाह जफर भारत में मुगल साम्राज्य के अंतिम बादशाह और उर्दू के जाने-माने शायर थे। उनकी ऐसी कई बेहतरीन शायरियाँ आपको इस किताब में पड़ने को मिल जाएँगी. उन्होंने 1857 ई. के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सिपाहियों का नेतृत्व किया था। युद्ध में पराजय के बाद अंग्रेज़ों ने उन्हें बर्मा (म्यांमार) भेज दिया, जहाँ उनकी मृत्यु हुई। बादशाह जफर ने जब रंजून में कारावास के दौरान अपनी आखिरी साँस ली तो कहा जाता है कि शायद उनके लबों पर अपनी ही मशहूर गजल का यह शेर जरूर रहा होगा "कितना है बदनसीब जफरत के लिए. दो गज जमीन भी न मिली कू-ए-चार में।" उसी किताब से"

Recommended

Format: Paperback

Condition: New

$13.88
50 Available
Ships within 2-3 days

Related Subjects

Poetry

Customer Reviews

0 rating
Copyright © 2025 Thriftbooks.com Terms of Use | Privacy Policy | Do Not Sell/Share My Personal Information | Cookie Policy | Cookie Preferences | Accessibility Statement
ThriftBooks ® and the ThriftBooks ® logo are registered trademarks of Thrift Books Global, LLC
GoDaddy Verified and Secured