जाति-पांति पुस्तक, डॉ. भीमराव अम्बेडकर द्वारा लिखित एक महत्वपूर्ण रचना है, जिसमें उन्होंने जाति व्यवस्था के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक पहलुओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है। पुस्तक में, अम्बेडकर जाति व्यवस्था को मानवता के खिलाफ अपराध मानते हैं। वे तर्क देते हैं कि यह व्यवस्था असमानता, अन्याय और अत्याचार पर आधारित है, जिसके कारण समाज में विभाजन और संघर्ष पैदा होता है। वे जाति व्यवस्था की जड़ों का पता प्राचीन हिंदू ग्रंथों में ढूंढते हैं और वेदों, उपनिषदों और मनुस्मृति जैसे ग्रंथों में उल्लिखित जातिगत वर्गीकरण और भेदभाव की आलोचना करते हैं। अम्बेडकर जाति व्यवस्था के विनाश के लिए शिक्षा, कानून और सामाजिक सुधारों के माध्यम से क्रांतिकारी बदलाव की वकालत करते हैं। वे सामाजिक समानता और न्याय के लिए एक समतावादी समाज का निर्माण करना चाहते हैं, जिसमें सभी व्यक्तियों को उनकी जाति या जन्म की परवाह किए बिना समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों। पुस्तक के कुछ प्रमुख बिंदु - जाति व्यवस्था की उत्पत्ति और विकास - जाति व्यवस्था के सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव - जाति व्यवस्था के खिलाफ अंबेडकर के तर्क - जात
ThriftBooks sells millions of used books at the lowest everyday prices. We personally assess every book's quality and offer rare, out-of-print treasures. We deliver the joy of reading in recyclable packaging with free standard shipping on US orders over $15. ThriftBooks.com. Read more. Spend less.