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Hardcover Ishwar Kahan Gaya [Hindi] Book

ISBN: 9384343099

ISBN13: 9789384343095

Ishwar Kahan Gaya [Hindi]

कहते हैं कि ईश्वर इनसान के दिल की दुनिया में निवास करता है। ठीक है, लेकिन हत्यारे की तलवार इनसान के सिर को धड़ से अलग करती है, तब ईश्वर कौन सी दुनिया में चला जाता है। विदेशी आक्रांताओं ने मंदिरों में प्रतिष्ठित देवमूर्तियों को तोड़कर धराशायी कर दिया तो ईश्वर ने उनके कातिल हाथों को क्यों नहीं रोका? फिर भी इन देशवासियों की आँखें नहीं खुलीं। ईश्वर को छाती से लगाए रहे और विश्वास करते रहे कि ईश्वर बचाएगा। सभी एकजुट होकर आततायियों से मुकाबला करने के लिए कभी तैयार नहीं हुए। आक्रांता सदियों से इनसानों को कुचलते रहे और अपनी तलवारों से इस धरती को खून से रँगते रहे। इस धर्मप्राण देश की जनता की सहायता करने ईश्वर कभी नहीं आया। वर्ष 2013 में उत्तराखंड में भयंकर त्रासदी हुई। हिमालय का दिल दरक गया। उसपर खड़े बदरीनाथ और केदारनाथ के मंदिरों में ईश्वर कहाँ छिपा बैठा था जब हजारों लोगों की जिंदगी तिनके की तरह जलधारा में बह गई। इन सब हादसों से मन विचलित होकर यही कहता है-ईश्वर कहाँ गया? इस पुस्तक को पढ़कर आप स्वयं विचार करें कि इसमें घटनाओं पर वर्णित घटनाएँ ईश्वर के अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न लगाती हैं अथवा नहीं।

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