प्रख्यात चिकित्सावैज्ञानिक और कवि डॉ. तरुण कुमार की कविताओं का यह पहला संग्रह वास्तविक अर्थों में अद्वितीय और अप्रमेय है। पिछले लगभग चार दशकों की अनवरत काव्य साधना के सर्वोत्तम पुष्प यहाँ संग्रथित हैं। अपनी दैनंदिन व्यस्तताओं के बीच डॉक्टर तरुण का कवि-मन लगभग भूमिगत तरीके से सक्रिय और सृजनशील रहा। कवि के दिल पर जो भी गुजरा वो सब चुपचाप अंकित होता गया। इसीलिए ये कविताएँ एक संवेदनशील हृदय की स्वतःस्फूर्त भावनाओं का उद्गार है। प्रेम, निराशा, मृत्यु, प्रकृति, गाँव और नगर और कुटुम्ब के अनेक मर्मस्पर्शी चित्र यहाँ मिलते हैं। कुछ भी सायास या कृत्रिम नहीं। डॉक्टर तरुण एक नैसर्गिक कवि हैं और यह संग्रह भावों का वो इन्द्रधनुष है जहाँ जीवन के सातों रंग तो हैं ही, परारंग और रश्मियाँ भी हैं। निश्चित रूप से सहृदय पाठक भावों और विचारों के इस अनाघात स्तबक का स्वागत करेंगे। और हम सब कवि से उत्तरोत्तर नवीनतर संग्रहों की आशा करेंगे डॉक्टर तरुण कुमार का यह कविता संग्रह अपने सहज, मार्मिक और निजी भावनाओं के अभिव्यक्ति-पुंज के रूप में समादृत होगा। अस्तु।
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