मुक्तकों और रुबाइयों के इस संकलन में हिंदी और उर्दू के सभी प्रमुख युवा रचनाकारों की प्रमुख रचनाओं को स्थान मिला है। भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति के निनाद से जन-मानस को एक बार फिर आप्लावित करने का अकिंचित प्रयास हुआ है। हिंदी साहित्य की समृद्ध परंपरा में पुस्तक ने श्री वृद्धि की है। डॉ. सुनील जोगी देश के चर्चित व लाड़ले हास्य-व्यंग्य कवि हैं। उन्होंने लगभग 75 पुस्तकों का प्रणयन किया है। विभिन्न राष्ट्रीय पत्रों में स्तंभ लेखन करने के साथ-साथ उन्होंने अनेक समाचार चैनलों पर भी अपनी अनूठी प्रस्तुतियां दी हैं। उन्होंने भारत के अतिरिक्त ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, नार्वे, दुबई, मस्कट, सूरीनाम जैसे देशों में कई बार 2500 से अधिक कवि सम्मेलनों में काव्य-पाठ और संचालन किया है। श्री जोगी ने अनेक कैसेटों व फिल्मों में गीत-लेखन किया है। उन्होंने संसद भवन से लेकर विभिन्न मंत्रालयों व राज्यस्तरीय अकादमियों में उच्च पदों पर कार्य किया है। वे अनेक राजनेताओं के सलाहकार हैं। आज देश की नई पीढ़ी के कवियों में उन्हें सबसे ऊर्जावान रचनाकार माना जाता है। मंच पर अद्भुत प्रस्तुति देने में आज उनका कोई सानी नहीं है।
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