सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' छायावाद युग के ऐसे महान कवि, रचनाकार हैं, जिसने अपनी रचनाओं और कविताओं से युग-युगान्तर तक पाठकों पर अपनी छाप छोड़ी है। वे अपने निराले स्वभाव और निराली रचनाओं के रचयिता होने के कारण 'निराला' कहलाएँ। महाकवि सूर्यकान्त त्रिपाठी अपने उपनाम की तरह वास्तव में निराले थे। उनकी कविताओं और रचनाओं में नवजागरण का संदेश एवं प्रगतिशील चेतना देखने को मिलती है। इस पुस्तक में हमने उनकी रचित कहानियों को संग्रहित किया है। प्रत्येक रचना इतनी मनोरम है कि पाठक के लिए धारा-प्रवाह का कार्य करती है। निराला जी शोषण के विरोधी हैं इसलिए उनकी रचनाएँ दीन-दुखियों, शोषकों, साम्राज्यवादियों एवं पूँजीपतियों के लिए उनके आक्रोश को प्रदर्शित करतीं हैं।