इस संकलन में प्रसिद्ध ओडि़या साहित्यकार तरुणकांति मिश्र की कुल उन्नीस कहानियाँ शामिल हैं। चार से भी अधिक दशक के दौरान अलग-अलग कालखंडों में अलग-अलग मनःस्थितियों में लिखी गई ये उनकी चुनिंदा कहानियाँ हैं। इसमें लेखक के किशोरवय से जीवन के अब तक के पड़ाव की रचनाएँ संकलित हैं, जिनमें कोमल उम्र के नम्र अनुभव, यौवन के कई रंग और जीवन के अपराह्न का विमर्श निहित है। आशा और निराशा, स्वप्न और स्वप्नभंग, प्रेम और प्रेमहीनता, मृत्यु और निर्वाण, इन सबके भीतर चमक रहा है जीवन का विस्तृत रूप। तरुणकांति को असामान्य कहानी का स्रष्टा कहा जाता है। इस संकलन में संकलित हरेक कहानी इसका प्रमाण है। बहुत व्यापक है उनके गल्प की परिधि। कहानियों का जो पक्ष पाठकों को ज्यादा स्पर्श करता है, वह है चरित्रों की अंतर्मुखी अभिव्यक्ति। उनका कथ्य-वर्णन, रूप कल्प, परिवेश, यहाँ तक कि आकाश-पृथ्वी का दर्पण एक ही तत्त्व का संधान करते हैं, और वह है अंतराभिमुखी। जीवन का तिलिस्म, वास्तविकता, रहस्यमयता और जिजीविषा का निष्ठुर-निर्मम सत्य इन कहानियों में प्रस्फुटित है। पर इन सबसे ऊपर है, उनकी इनसान को प्रेम करने की भाषा। अपनी इसी सूक्ष्म दृष्टि और संवेदना के चलते समकालì
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