डॉ. पुष्पा राही का नाम हिन्दी काव्य जगत के लिए सुपरिचित नाम है। उनके कई गीत संग्रह एवं कविता संग्रह प्रकाशित हुए हैं तथा चर्चित हुए हैं। साथ ही कुछ समीक्षा एवं आलोचना की पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं। डॉ. पुष्पा राही का लेखन कई दशकों से जारी है और वे वरिष्ठ कवियित्रियों में अपना एक अलग एवं सम्मान जनक स्थान रखती हैं। 'एकला चलो रे' का ध्येय वाक्य भी उन पर पूरी तरह सही उतरता है, क्योंकि उन्होंने अपनी कविताओं को प्रचलित मुहावरों एवं धाराओं से अलग रखकर उनके लिए बिलकुल अलग रास्ता बनाया है और निश्चय ही जो लोग अपनी अलग राह बनाते हैं, वे अपनी शैली में विशिष्ट योगदान देते हैं। स्वयं को कवि रूप में स्थापित करने, यश अर्जित करने या कवि सम्मेलनों में कवियों की तरह धन कमाने या तालियां बटोरने से भी उनका कोई लेना-देना नहीं है। निश्चय ही सच्चे हृदय से रची गई निश्छल, सहज, सरल, पारदर्शी कविताओं की अपनी ही मूल्वत्ता है। 'अंतरंग' की कविताएं भी इस कसौटी पर खरी उतरती हैं।
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