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Paperback Akhiri Salute आखिरी सलूट (Hindi Edition) [Hindi] Book

ISBN: 1715182170

ISBN13: 9781715182175

Akhiri Salute आखिरी सलूट (Hindi Edition) [Hindi]

आज़ादी का चैन हासिल भी नहीं हुआ था की विभाजन ने मुल्क़ को बैचैन कर दिया. चारों तरफ मारा मारी, मानो इंसान हैवान हो गया हो। देश का विभाजन यानि फौज का भी विभाजन। पहले एक होकर दुश्मन से लड़ते थे, अब आपस में ही बंट गयी थी। मुसलमान फौज़िओं को भी बांकी मुसलमानों की तरह मौका दिया गया की वो जिस भी मुल्क़ को अपनाना चाहते हैं अपना सकते है। कई गए कई रह गए। हालांकि बारीक बातें फौजी को बिलकुल नहीं सोचनी चाहिए, उसकी अक्ल मोटी होनी चाहिए क्योकि मोटी अक्ल वाला ही अच्छा सिपाही हो सकता है। इन्हीं सब बातों को विस्तार से 'आखिरी सलूट' में कहानीकार सआदत हसन मंटो ने बड़े ही रोचक वो मर्मस्पर्शी ढंग से वर्णन किया है। तक़सीम हुआ मुल्क़ तो दिल हुए टुकड़े हर सीने में तूफ़ान, यहाँ भी था, वहां भी था हर घर में चिता जलती थी, लहरती थी सोले हर शहर में शमशान यहाँ भी था, वहां भी न कोई गीता की सुनता न कोई क़ुरान की सुनता हैरान सा ईमान था, वहां भी और यहाँ भी...

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Format: Paperback

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