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Paperback भजनामृत -एक आत्मरस: रामाश&#238 [Hindi] Book

ISBN: 9395374101

ISBN13: 9789395374101

भजनामृत -एक आत्मरस: रामाशî

About the Book:

जिस प्रकार मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन को ग्रहण करता है, उसी प्रकार आत्म कल्याण चाहने वाले मनुष्य को भजन की आवश्यकता पड़ती है। "भजनामृत एकआत्मरस" उस अमृत के समान है जिसमें भगवत प्रेमी जन डुबकी लगाकर अपना इहलोक तथा परलोक दोनों सफल बना कर उस परमपिता परमेश्वर से, जगत जननी वात्सल्य रूपी मां के दर्शन का भागी बन जाता है और उस मोक्ष के मार्ग को अति शीघ्र प्राप्त कर जाता है।

स्तुति, प्रभु के गुणानुवाद गाना, सुंदर तथा मधुर वाणी से भजन उनकी पूजा का अहम हिस्सा है। भजन में वाणी मन के साथ होती है, जब मन प्रेम में विभोर होता है तो वाणी भी प्रेममय होकर एक भाव में निकलती है, उस वाणी में एक अद्भुत रस होता है जिसके सुनते ही स्वतः प्रभु अपने ऐसे भक्तों के पास आने को बाध्य हो जाते हैं।


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Format: Paperback

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$18.19
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