सप्तशृंगी गिरिराज हिमालय का जन्म से लेकर मानसरोवर की अगाध गहराई तक, शिवजी का प्रथम सोपान से लेकर आज तक हर सूक्ष्म से सूक्ष्म पहलू मुझसे छुपा नहीं है। जब चाँद अपनी सखियों के संग आकाश में उभर आता है उन सितारों में मैंने अपनी पृष्ठभूमि के सौंदर्य को निहारती आई हूँ। उन सितारों में एक सपनों का महल खड़ा देखा है मैने। शायद उसी को त्रिशंकु कहा जाता है। विश्वामित्र और मेनका के प्यार की नगरी। उस नगर की रचना भी मैने ही लाखों साल पहले की थी। उनके प्यार की दास्ताँ आज भी मेरे मन के किसी कोने में दफ़न हो कर रह गयी है। रावण ने जब सीता का अपहरण किया था, तब पंखीराज़ जटायु ने उनके बचाव में मेरी गोद में शेष साँस छोड़ी थी। सीता मैया को बचाते- बचाते कितने ही दिये मेरे आँखों के सामने बुझ गए, यह मेरे अलावा कौन जान सकता है? हज़ारों बानरों की सहायता से बना वह सेतु के निर्माण की साक्षी भी मैं ही हूँ।
Format:Paperback
Language:Hindi
ISBN:9356672415
ISBN13:9789356672413
Release Date:July 2023
Publisher:Pencil (One Point Six Technologies Pvt Ltd)
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